एक वृद्ध सज्जन अपनी पत्नी के साथ एक मित्र के घर दावत पर गए.
भोजन के बाद महिलायें दूसरे कमरे में चली गईं और दोनों मित्र आपस में
बातचीत करने लगे.
वृद्ध सज्जन बोले – “कल शाम मैं अपनी पत्नी के साथ एक होटल में डिनर
के लिए गया था. वहाँ का खाना इतना लाजवाब
था कि क्या कहूँ ? तुम भी एक बार वहाँ जरूर जाना …”
मित्र बोले – “हाँ, हाँ … जरूर जायेंगे … क्या नाम है उस होटल का ?”
वृद्ध सज्जन थोड़ी देर तक याद करने की कोशिश करते रहे, फिर बोले –
“उस फूल को क्या कहते हैं जो किसी को प्रेम का इजहार करते समय
दिया जाता है … उसके साथ कांटे भी होते हैं … ?”
मित्र बोले – “गुलाब ?”
वृद्ध सज्जन – “हाँ वही …”
फिर जिस कमरे में महिलायें बैठी हुईं थीं उधर मुंह करके जोर से बोले –
“अरे गुलाबो … कल शाम हम लोग जिस होटल में खाना खाने गए थे
उसका नाम तो बताना ज़रा … ?”
भोजन के बाद महिलायें दूसरे कमरे में चली गईं और दोनों मित्र आपस में
बातचीत करने लगे.
वृद्ध सज्जन बोले – “कल शाम मैं अपनी पत्नी के साथ एक होटल में डिनर
के लिए गया था. वहाँ का खाना इतना लाजवाब
था कि क्या कहूँ ? तुम भी एक बार वहाँ जरूर जाना …”
मित्र बोले – “हाँ, हाँ … जरूर जायेंगे … क्या नाम है उस होटल का ?”
वृद्ध सज्जन थोड़ी देर तक याद करने की कोशिश करते रहे, फिर बोले –
“उस फूल को क्या कहते हैं जो किसी को प्रेम का इजहार करते समय
दिया जाता है … उसके साथ कांटे भी होते हैं … ?”
मित्र बोले – “गुलाब ?”
वृद्ध सज्जन – “हाँ वही …”
फिर जिस कमरे में महिलायें बैठी हुईं थीं उधर मुंह करके जोर से बोले –
“अरे गुलाबो … कल शाम हम लोग जिस होटल में खाना खाने गए थे
उसका नाम तो बताना ज़रा … ?”
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